अंगत्राण किसे कहते हैं?
|
अ
अंगत्राण (सं०, वि० ) = शरीर की रक्षा करनेवाला। पुँ० कवच।
"पुल्लिंग
1. जिससे अंगों की रक्षा हो (कवच, भाला)। वस्त्र। अंग की रक्षा करने वाला आवरण; बख़्तर; कवच; चर्म· वस्त्र। शस्त्रास्त्रों से अंग की रक्षा के निमित्त पीतल या लोहे का पहिनावा। वर्म, जिरह। अंगरखा, कुरता।" ( गूगल)
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4 शोक 7-8 में है--
अर्थ:- धर्मात्माओं की रक्षा करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म के सिद्धांतों को पुनः स्थापित करने के लिए मैं युग-युग में इस पृथ्वी पर प्रकट होता हूँ।अ०/श्लो०७-८।।
संतमत साहित्य सूची
|
प्रभु प्रेमियों ! संतमत के वेदव्यास बाबा लालदास कृत महर्षि मेँहीँ शब्दकोश + मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश पुस्तक के बारे में विशेष जानकारी तथा इनके अन्य साहित्यों के बारे में विशेष जानकारी के लिए 👉 यहां दबाएं।
सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के शर्तों के बारे में जानने के लिए 👉 यहां दवाएं।
---×---

कोई टिप्पणी नहीं:
कृपया संत महात्माओं के जीवन चरित्र से संबंधित लेख आप लोग भेज सकते हैं हमारे ईमेल barundas7417@gmail.com पर या व्हाट्सएप नंबर 7547006282 पर केवल व्हाट्सएप पर मैसेज रूप में ही भेजें। फोन कॉल नहीं करेंगे। इससे मोक्ष पर्यंत ध्यान अभ्यास में प्रॉब्लम होता है फोन केवल दिन के 12 से 2:00 बजे के बीच में ही करें।