ॐ का परिचय, ओम् किसे कहते हैं?
प्रभु प्रेमियों !
ओम् शब्द संस्कृत का है और यह पुलिंग है । इस शब्द के बारे में संत-महात्मा लोग कहते हैं कि पहले परमात्मा-ही-परमात्मा था । उनके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं था । एक बार परमात्मा के अंदर मौज हुई कि हम एक हैं बहुत हो जाएं । '
एकोहं बहुस्याम:' परमात्मा के इसी मौज से एक शब्द उत्पन्न हुआ । इसी शब्द को
ओम्, स्फोट आदि भी कहते हैं । इसको विविध संतों ने विविध नामों से अभिव्यक्त किया है। कहीं इसे ही
दुर्गा, राम, कृष्ण आदि का रूप भी माना जाता है।
'महर्षि मेँहीँ शब्दकोश' इसी ओम् अक्षर से शुरू किया गया है।
 | ओंकार क्या है? |
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ॐ
ॐ ( सं ० , पुं ० ) =' ओम् ' का एक अक्षरवाला रूप , आदिशब्द जिससे सृष्टि हुई है ।
'मोक्ष दर्शन' पुस्तक में ओंकार या ओम् का वर्णन निम्न प्रकार से है-
( ३५ ) अव्यक्त से व्यक्त हुआ है अर्थात् सूक्ष्मता से स्थूलता हुई है । सूक्ष्म , स्थूल में स्वाभाविक ही व्यापक होता है । अतएव आदिशब्द सर्वव्यापक है । इस शब्द में योगी जन रमते हुए परम प्रभु सर्वेश्वर तक पहुँचते हैं अर्थात् इस शब्द के द्वारा परम प्रभु सर्वेश्वर का अपरोक्ष ( प्रत्यक्ष ) ज्ञान होता है । इसलिए इस शब्द को परम प्रभु का नाम - ' रामनाम ' कहते हैं । यह सबमें सार रूप से है तथा अपरिवर्तनशील भी है । इसीलिए इसको सारशब्द , सत्यशब्द और सत्यनाम भारती सन्तवाणी में कहा है , और उपनिषदों में ऋषियों ने इसको ॐ कहा है । इसीलिए यह आदिशब्द संसार में ॐ कहकर विख्यात है । (मोक्ष दर्शन पैराग्राफ 35)
( ३२ ) परा और अपरा ; युगल प्रकृतियों के बनने के पूर्व ही आदिनाद वा आदि ध्वन्यात्मक शब्द अवश्य प्रकट हुआ । इसी को ॐ , सत्यशब्द , सारशब्द , सत्यनाम , रामनाम , आदिशब्द और आदिनाम कहते हैं। (मोक्ष दर्शन पैराग्राफ 32)
'संतमत दर्शन' पुस्तक में ओंकार का वर्णन निम्न प्रकार से है-
[
ओम् ' आदिनाद को कहा गया है । गुरुदेव ने भी आदिनाद को ही ' ओम् ' कहा है ; देखें- '
ब्रह्मनाद शब्दब्रह्म ओम् वही । " (
पद्य - सं ० ५ ) ' ओम् ' अ , उ और म् की संधि से बना हुआ है । अ कंट से , उ ओष्ठ से और म् दोनों ओष्ठों तथा नासिका से उच्चरित होता है । इसे एकाक्षर रूप में ॐ लिखा जाता है । ' ओ ३ म् ' का ३ बतलाता है कि ओ प्लुत है । जिस स्वर का उच्चारण करने में तीन या तीन से अधिक गुणा समय लगे , उसे प्लुत कहते हैं । ' ओ ३ म् ' को ' ओऽम् ' की तरह भी लिखा जाता है । ऽ भी ' ओ ' स्वर के प्लुत होने का सूचक है । साधारण रूप से ' ओ ' का उच्चारण करने में जितना समय लगता है , ' ओ ३ म् ' के ' ओ ' का उच्चारण करने में उससे तीन गुणा समय लगाना चाहिए । इस पद्य में गाते समय '
ओ ३ म् ' का उच्चारण साधारण ढंग से ही किया जाता है । प्रातःकालीन नाम संकीर्तन ( अव्यक्त अनादि अनन्त अजय अज .... ) की अंतिम कड़ी ( भजो ॐ ॐ प्रभु नाम यही .... ) में आये ' ओ ३ म् ' का उच्चारण चरण को दुबारा गाते समय हमलोग सही ढंग से करते हैं । आदिनाद सम्पूर्ण सृष्टि में भरपूर होकर ध्वनित हो रहा है । ' ओ ३ म् ' शब्द भी मुँह के सब उच्चारण - अवयवों को भरते हुए उच्चरित होता है । ऐसा दूसरा कोई शब्द नहीं है । इसीलिए ' ओ ३ म् ' को ध्वन्यात्मक आदिनाद का सबसे उत्तम वाचक मान लिया गया है । (
संतमत-दर्शन पुस्तक द्वितीय संस्करण के पृ. नं. 80 से) ]
निम्नलिखित वीडियो में ओम का उच्चारण सुनें-
शब्दकोश में 'ओम्' के बाद 'ॐ ब्रह्म' शब्द आया है। इस ॐ ब्रह्म शब्द के बारे में जानने के लिए 👉 यहां दबाए।
प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त बातें '
महर्षि मेँहीँ शब्दकोश' और 'मोक्ष दर्शन के शब्दकोश' तथा सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज एवं अन्य संत-महात्माओं के ग्रंथों से लिया गया है । आप उपरोक्त साहित्यों को '
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